⚡ बिजली गुल होने की घटना
4 मई 2025 को आयोजित NEET-UG परीक्षा के दौरान इंदौर में भारी बारिश और आंधी-तूफान के कारण कई परीक्षा केंद्रों पर बिजली आपूर्ति बाधित हो गई। PM श्री सेंट्रल स्कूल क्रमांक-1 में दोपहर 3:30 बजे बिजली चली गई, जो परीक्षा समाप्त होने तक नहीं आई। यहां लगभग 600 छात्रों को मोमबत्ती की रोशनी में परीक्षा देनी पड़ी। कई केंद्रों पर इनवर्टर या जनरेटर की व्यवस्था नहीं थी, जिससे छात्रों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
📢 छात्रों और अभिभावकों की प्रतिक्रिया
बिजली गुल होने की स्थिति से नाराज छात्रों और उनके अभिभावकों ने परीक्षा केंद्रों के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। कई छात्रों ने आरोप लगाया कि अंधेरे के कारण वे प्रश्नपत्र ठीक से नहीं पढ़ पाए और उनका प्रदर्शन प्रभावित हुआ। अभिभावकों ने दोबारा परीक्षा आयोजित करने की मांग की है।
🏛️ राजनीतिक प्रतिक्रिया
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर प्रभावित केंद्रों पर पुनः परीक्षा आयोजित करने की मांग की है। उन्होंने इसे छात्रों के भविष्य के साथ अन्याय बताया और परीक्षा की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए आपदा प्रबंधन प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
⚖️ न्यायिक हस्तक्षेप
मामले की गंभीरता को देखते हुए, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने NEET-UG 2025 के परिणामों की घोषणा पर अस्थायी रोक लगा दी है। कोर्ट ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) से इस मामले में जवाब मांगा है और परीक्षा की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
🔄 पिछले वर्षों की घटनाएं
NEET परीक्षा में तकनीकी या व्यवस्थागत खामियों के कारण परिणामों पर रोक लगाने की घटनाएं पहले भी सामने आ चुकी हैं:
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2023: तमिलनाडु में परीक्षा केंद्रों पर प्रश्नपत्र वितरण में देरी और तकनीकी समस्याओं के कारण छात्रों ने विरोध किया, जिससे परिणामों की घोषणा में देरी हुई।
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2022: बिहार के एक परीक्षा केंद्र में प्रश्नपत्र लीक होने की खबर के बाद परीक्षा रद्द कर दी गई और परिणामों पर रोक लगा दी गई।
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2021: उत्तर प्रदेश के एक केंद्र में परीक्षा के दौरान तकनीकी खराबी के कारण परीक्षा स्थगित करनी पड़ी, जिससे परिणामों की घोषणा में विलंब हुआ।
🔚 निष्कर्ष
NEET-UG 2025 में बिजली गुल होने की घटनाओं ने परीक्षा की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्न उठाए हैं। छात्रों और अभिभावकों की मांग है कि प्रभावित केंद्रों पर पुनः परीक्षा आयोजित की जाए या फिर उचित मुआवजा दिया जाए। अब सभी की निगाहें NTA और न्यायालय के आगामी निर्णयों पर टिकी हैं, जो छात्रों के भविष्य को प्रभावित करेंगे।
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